सुल्तान -ए - अन्तःस्रावी दुनिया
यह मष्तिष्क के बिलकुल भीतरी भाग में, इसके अंतःस्थल में अवस्थित होता है. अगर आप अपनी जिह्वा की नोक से, तालु का सख्त भाग, जो आगे की तरफ होता है, और पिछला मांसल भाग जहाँ मिलते हैं वहां स्पर्श करें, और कल्पना करें कि आप ऊपर के तरफ मस्तिष्क के अंदर जा रहें हैं तो शायद आप पीयूष ग्रंथि को पहुँच रहे हैं। योग विज्ञान में खेचरी मुद्रा का ज़िक्र आता है. योगी तालु के इस बिंदु पर जिह्वा से स्पर्श कर ध्यान लगाते हैं, और ऐसा वर्णन मिलता है कि उन्हें अमृत वर्षा की अनिभूति होती है। मेरा ऐसा कोई अनुभव नहीं है। यद्यपि यह बात विज्ञान के क्षेत्र से बाहर जाती हुई सी है मगर एक मज़ेदार तथ्य है जो इस तरफ इशारा करता हो कि क्या पुराने समय के योगियों को पीयूष ग्रंथि की स्थिति और महत्व का एहसास था - शायद!
यह एक वैज्ञानिक तथ्य है कि माँ के गर्भ में जब भ्रूण विकसित हो रहा होता है तो विकास के क्रम में सख्त और मांसल तालु जहाँ मिल रहे होते हैं, वहां एक रंध्र होती है जिससे गुज़र कर एक ख़ास तरह की कोशिका ऊपर विकसित होते मस्तिष्क की तरफ चली जाती है और पीयूष ग्रंथि का निर्माण करती है.
खैर हम आगे बढ़ते हैं. पीयूष ग्रंथि से कई तरह के हार्मोन का स्राव होता है जो हमारे शरीर को कई तरह से प्रभावित और नियंत्रित करता है. प्रमुख हार्मोन ये हैं-
१. ग्रोथ हॉर्मोन ( Growth Hormone): यह शरीर के विकास को नियंत्रित करता है- इसके आभाव में बच्चों की लंबाई नहीं बढ़ती, और शरीर विकसित नहीं हो पाता. हालाँकि यह ख्याल रखने की बात है कि ग्रोथ हॉर्मोन की कमी बौनेपन की शिकायत का एक बेहद rare असंभावित कारण है.
२. TSH: थाइरोइड स्टिम्युलेटिंग हॉर्मोन : यह थाइरोइड ग्रंथि को नियंत्रित करता है. आम तौर पर अगर कोई व्यक्ति थाइरोइड हॉर्मोन की कमी का शिकार हो तो उसके रक्त जाँच में TSH का स्तर बढ़ा होता है.
३. ACTH: यह किडनी के ऊपर स्थित एक ग्रंथि एड्रिनल ग्लैंड को नियंत्रित करता है. हम इसके बारे में फिर कभी बात करेंगे
४. LH/ FSH: ये दो हॉर्मोन हैं जो पीयूष ग्रंथि से स्रावित हो दूरस्थ ovary और testes को नियंत्रित करते हैं. शरीर के यौन विकास और यौन स्वास्थय के लिए इनका बेहद महत्वपूर्ण योगदान होता है.
५. Prolactin: प्रोलैक्टिन : यह एक ऐसा हॉर्मोन है जो माँ और पिता में बच्चों के लिए जो स्वभाविक स्नेह और प्यार होता है, का कारण है. प्रसूति के पश्चात माँ के स्तन में दूध आने के लिए इसका महत्वपूर्ण योगदान होता है. .
६. ऑक्सीटोसिन (oxytocin ) : सामाजिक एवं यौन सम्बन्ध व् सुख के लिए इसकी भूमिका है. माँ के दूध होने के लिए भी ये ज़रूरी है.
७. वैसोप्रेसिन - vassopresin : यह हमारे शरीर में पानी की मात्रआ को और रक्त चाप को नियंत्रित करता है.
इस तरह से हम देख सकते हैं कि अंतःस्रावी ग्रंथियों का बादशाह पीयूष ग्रंथि हमारे शरीर को कई तरह से प्रभावित और नियंत्रित कर सकता है. इसी तरह इसके क्रिया कलाप में कोई खराबी आने से हमारा शरीर कई तरह से प्रभावित ओ सकता है. मगर शरीर की एक खासियत है की यह सुरक्षित कपाल के अंदर स्थित होता है और इससे सम्बंधित रोग की सम्भावना काफी कम होती है.
कुछ बच्चे जन्मजात रूप से ही पीयूष ग्रंथि की खराबी के साथ साथ पैदा होते हैं और उनकी पहचान कर लेना बहुत ज़रूरी होता है, अन्यथा यह जान लेवा हो सकता है. कई बार मस्तिष्क में होने वाले ट्यूमर ( ब्रेन tumor ) इसको प्रभावित कर सकते हैं.
सच पूछे तो पीयूष ग्रंथि का कार्य बेहद महत्वपूर्ण और जटिल है जो साधारण डॉक्टर्स के लिए भी एक पेचीदा सा मामला होता है. मगर ईश्वर की लीला है की इससे सम्बंधित बीमारिया विरले ही होते हैं.
अब आप पूछेंगे की अगर पीयूष बादशाह है तो फिर बेगम कौन हुई. - आपको बताना है की बादशाह पर परदे के पीछे से कौन नियंत्रण रक्खे है?
अगर आपको इससे सम्बंधित कोई सवाल हो तो बताएं मैं अपनी क्षमता अनुसार उत्तर देने की कोशिस करूँगा.
पीयूष ग्रंथि के बारे में बहुत सुन्दर सूक्ष्म चिंतन प्रस्तुति हेतु धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, कविता जी, अापकी टिप्पणी का बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंBest knowledge to pg...
जवाब देंहटाएंKisi ki master granthi sukha jaye tho kiya hoga
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