सोमवार, 14 जुलाई 2014

अन्तः स्रावी ग्रन्थियां -२ थाइरॉयड

अन्तः स्रावी ग्रन्थियां -२ - थाइरॉयड







पिछले पोस्ट में , जिसे लिखे एक अरसा हो गया है,  हमने अन्तःस्रावी ग्रंथियों और हॉर्मोन के बारे में कुछ मौलिक बातें की थी।  उस वार्ता के मुख्य बिंदु थे कि हॉर्मोन हमारे शरीर के  कुछ ख़ास ग्रंथियों से उत्पन्न ऐसे रसायन हैं  जो रक्त प्रवाह में मिल कर शरीर के विभिन्न हिस्सों पर अपना प्रभाव डालते हैं.  हमने यह भी देखा था की पियूष ग्रंथि (पिट्यूटरी ग्लैंड ) जो मस्तिष्क के अंदर स्थित है वह इस अन्तःस्रावी तंत्र (एंडोक्राइन सिस्टम) का बादशाह  है और मस्तिष्क का ही एक दूसरा हिस्सा जिसे हाइपोथैलेमस कहते हैं वह बेगम की भूमिका निभाती है क्योंकि उसका नियंत्रण पीयूष के ऊपर होता है।
आज हम थाइरोइड ग्रंथि- (Thyroid Gland) के बारे में बातें करेंगे. थाइरॉयड ग्रंथि हमारी  स्वांस नलिका (Trachea- ट्रेकिआ) के  इर्द गिर्द स्थित है और इसका आकार अंग्रेजी के H अक्षर की तरह का होता है। अगर आप अपनी छाती के बीच के हड्डी जिसे एस्टर्नम (sternum) कहते हैं के ठीक ऊपर अपनी ऊँगली लगाएं तो आप स्वांश नाली(trachea) को मह्शूश कर सकते है , इस पर ज्यादा दबाव देने से खांसी आ सकती है।  इसे के दोनों पहलू में थाइरॉयड का निवास है।आम तौर से जब यह अपने सामान्य आकार में होता है तो आप इसे अनुभव नहीं कर सकते हैं, मगर यदि यह किसी भी वजह से बढ़  जाय तो आप इसे देख और महसूस कर सकते है।   बढ़े  हुए थाइरॉयड को goitre - ग्वॉइटर  या आम तौर से घेघा की बीमारी कहते हैं।
थाइरॉयड ग्रंथि एक हॉर्मोन बनाती है जिसे थाइरॉक्सिन (Thyroxin) कहते हैं। यह हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी है.  ख़ास कर नवजात शिशु और छोटे  बच्चे का मानसिक व् शारीरिक  विकास इसके बिना समुचित रूप से नहीं हो सकता है।  कभी कभी नवजात शिशु के शरीर में जन्मजात रूप से थाइरॉयड ग्रंथि  अविकसित या अनुपस्थित हो सकता है. ऐसे में जब तक बच्चा माँ  के गर्भ में होता है तो गर्भ नाल के द्वारा माँ  के शरीर में उत्पन्न थाइरॉक्सिन गर्भस्थ  बच्चे को मिलता रहता है और वह सामान्य रूप से विकसित हो सकता है।  मगर जन्म के उपरांत ऐसे बच्चे की  थाइरॉक्सिन  की आपूर्ति बाधित हो जाती है और बच्चे का मानसिक व् शारीरक विकास थम जाता है. अगर हम ऐसे बच्चो की पहचान जल्द से जल्द शुरू के २-३ सप्ताह के अंदर कर सकें और इलाज़ के तौर पर थाइरॉक्सिन  की दवा शुरू कर दें तो  बड़ी आसानी से एक मासूम बच्चे को  मानसिक व् शारीरिक रूप से अपाहिज होने से बचा सकते है। विकसित देशों में हर नवजात बच्चे की एक रक्त जांच ५ दिन की उम्र पर होता है इसका पता करने केलिए और इस समस्या से बचने के लिए. भारत व् अन्य विकासशील देशों में  यह कारप्रक्रिया अभी  सार्वजानिक रूप से  शुरू नहीं हुई है। मगर प्राइवेट में यह जांच आसानी से हर छोटे बड़े शहर में उपलब्ध है.
आज के लिए बस शेष अगले पोस्ट मे।  धन्यवाद।

रविवार, 5 जनवरी 2014

अंतःस्रावी ग्रंथियां और हॉर्मोन -1

अंतःस्रावी ग्रंथियां और हॉर्मोन
अंतःस्रावी ग्रंथियाँ हमारे शरीर में स्थित छोटी मगर बहुत ही महत्वपूर्ण संरचनआये  है। आपमें से अधिकतर  लोगों ने  Endocrine glands या endocrinologists  के बारे में तो अवश्य हे सुना होगा। यह ही है अंतःस्रावी  ग्रंथि और  हॉर्मोन से सम्बंधित बिमारियों के विशेषज्ञ।
ये ग्रंथियां खास तरह के रसायन का स्रवन करती हैं जिन्हे हार्मोन कहते हैं।  हार्मोन की खास बात ये है कि ये रक्त में मिल कर शरीर के दूरस्थ भाग में भी पहुँच कर अपना विशिष्ट प्रभाव दिखाती हैं।  
शरीर में स्थित महत्वपूर्ण अंतस्रावी ग्रंथियों की सूची
१. पीयूष ग्रंथि - Pituitary glands
२. थाइरॉयड - Thyroid gland
३. पारा थाइरॉयड - parathyroid gland
४. पक्कवाशय - Pancreas
५ . एड्रीनल ग्रंथि  - adrenal glands
६ . अंडाशय या  अंडकोश ovary or testes






अंतःस्रावी ग्रंथियों के अलावा भी हमारे शरीर में कई अन्य ग्रंथिया होती हैं मगर उनके रसायन का असर स्थानिक अर्थात वहीँ का वहीँ होता है- जैसे उदहारण के तौर पर लार ग्रंथि(salivary gland) से निकलने वाले लार का असर सिर्क मुख में ही  है अतः इसे अंतःस्रावी ग्रंथि की श्रेणी में नहीं रखा जाता है- इसे बहिःस्रावी ग्रंथि कहेंगे  और लार को हॉर्मोन नहीं कहते है।

निस्संदेह पीयूष ग्रंथि ही  अंतःस्रावी तंत्र का सिरमौर या बादशाह है।  ऐसा इस लिए कि इसका प्रभाव और नियंत्रण -अन्य कई ग्रंथियों के ऊपर है।  और अगर ये बादशाह है तो फिर बेगम कौन हुई?- मेरे ख्याल से यह गौरव तो हाइपोथैलेमस (hypothalamus) को मिलना चाहिए। आपने ऊपर की तस्वीर में देखा होगा कि पीयूष के ठीक पास ऊपर की तरफ दिमाग का एक छोटा सा हिस्सा है जिसे हाइपोथैलेमस कहते हैं।  हालाँकि इसे अंतस्रावी ग्रंथि की श्रेणी में नहीं रखा जाता है मगर इससे निकले वाले रसायन का नियंत्रण बादशाह पीयूष के ऊपर होता है- तो फिर यह हुई न बेगम!!
अगर मैं सोचूं कि तमाम हॉर्मोन में कौन सा हॉर्मोन है जिससे आम जन सबसे ज्यादा परिचित हों तो वह सम्मान शायद इन्सुलिन को मिलना चाहिए और फिर  दूसरे  पायदान पर होंगे thyroid . आम तौर से लोग इन्सुलिन को हार्मोन के रूप में नहीं सोचते हैं मगर सच तो येही है।  पक्क्वाशय तमाम अंतःस्रावी ग्रंथियों में सबसे बड़ी है जो अमाशय (stomach) के पीछे स्थित है।  इसका अधिकतर हिस्सा बहिःस्रावी (exocrine gland) के रूप में काम करता है - इससे पाचक रसायन का स्राव होता है जो आंत में में भोजन से मिल कर उसे पचाती हैं।  इसी पक्व्शय के अंदर कुछ ख़ास तरह की कोशिकाओं के छोटे  द्वीप होते  हैं जिन्हें islets of Langerhans कहते हैं  और इनसे ही इन्सुलिन का स्राव होता है जो आंत में न जा कर रक्त  प्रवाह में मिलकर शरीर के हर हिस्से में अपना प्रभाव दिखता है।  और अगर इस प्रक्रिया में खराबी आ जाय तो मधुमेह या डायबेटीस  की बीमारी हो जाती है।



इस स्वनियंत्रित व्यवस्था पर क्या हमारा कोई नियंत्रण, आंशिक या सम्पूर्ण, सम्भव है? स्वामी रामदेव और कई अन्य योगियों ने ऐसा दावा किया है - मगर यह कितना सच है? मिलते अगले पोस्ट में।
नव वर्ष की शुभकामनायें !!