दिल या हृदय- शरीर का एक ऐसा अंग जो अनवरत धड़कता रहता है. इसकी धड़कन ही हमारे जीवित होने का प्रमाण है. यह रुका तो जीवन ख़त्म.
मां के गर्भ में जब भ्रूण करीब ५-८ सप्ताह का होता है, तब से दिल की धडकन जो शुरू होती है तो फिर मृत्यु के साथ ही बंद होती है. कुदरत का करिश्मा है यह मुट्ठी भर का मांसल पम्प जो १०० वर्ष तक लगातार काम कर सकता है. और हम में से हर एक इस चमत्कार को अपने अन्दर लिए घूम रहे हैं. तो फिर आज इसी की बात हो.
हमारी छाती की बायीं तरफ दो फेंफडों के बीच पसलियों के पीछे है अनवरत धडकता दिल. रक्त की बड़ी नलिकाये इस तक रक्त को लाती हैं और इससे निकल कर शरीर के बाकी हिस्से तक खून को पहुँचती हैं.
दिल की संरचना:
सरलतम शब्दों में कहा जाय तो दिल मांसपेशियों का बना एक पम्प है जिसके चार अलग अलग कक्ष (chambers) हैं. दो कक्ष दाहिनी तरफ और दो बायीं तरफ, या दो उपर के और दो नीचे के कक्ष. उपर के दो कक्ष को Atrium या आलिन्द कहते हैं और नीचे के दो को Ventricle या निलय.
दाहिना आलिन्द (Right atrium ) : वैसा रक्त जिसमे ओक्सीज़न कम और CO2 ज्यादा है शिराओं (veins) से हो कर हृदय के दाहिने आलिन्द में पहुँचता है. आलिन्द निलय की तुलना में कम मांसल होता है. शरीर के विभिन्न हिस्सों से वापस आया रक्त, जिसका वांछित ओक्सीज़न शरीर के द्वारा उपयोग कर लिया गया है और जिसमे अनचाहा CO2 डाल दिया गया है वह सबसे पहले हृदय के इस कक्ष में पहुँचता है और फिर यंहा से एक वाल्व से गुजर कर दाहिने निलय में पहुँचता है. दाहिने आलिन्द के अन्दर एक ख़ास तरह की गाँठ जैसी संरचना होती है जिसे SA node कहते हैं. यह एक ऐसी संरचना है जो लगातार रुक रुक कर एक विद्युतीय आवेग पैदा करती है ६० से १२० आवेग प्रति सेकेण्ड. यही आवेग जब शेष हृदय की मांसपेशियों में फैलता है तो उनका संकुचन होता है - जिसे हम दिल की एक धड़कन के रूप में महसूश करते हैं.
दाहिना निलय (राईट Ventricle): दाहिने अलिंद में आया खून एक वाल्व से हो कर दाहिने निलय में पहुँचता है और जब निलय की मांसपेशी संकुचित होती है तो यही रक्त दोनों फेफड़ों में पम्प हो जाती है , जहाँ रक्त में फिर से ओक्सिजन की आपूर्ति होती है और co2 का निष्कासन.
दाहिना निलय और बाएं निलय को अलग करती हुई एक मांसल दीवार होती है जिसे interventricular septum कहते हैं. गर्भ में जब हृदय का निर्माण हो रहा होता है तो कभी कभी इसी दीवार में एक छेद सी रह जाती है जो की एक प्रकार का जन्मजात हृदय रोग है इसे VSD (वेंट्रिकुलर सेप्टल defect ) कहते हैं. और इसके लिए कई बार ओपरेशन की जरूरत होती है.
बायाँ आलिन्द (लेफ्ट atrium ): फेफड़ों से पुनः ओक्सीज़न युक्त हुआ रक्त वापस हृदय के बाएं आलिन्द में आता है. फिर एक वाल्व से हो कर यह बाएं निलय में पहुँचता है. इस वाल्व का नाम माइट्रल वाल्व है. रुमेटिक रोग में यही माइट्रल वाल्व संकरा हो जाता है जिसके लिए कई बार ओपरेशन की जरूरत हो सकती है.
बायाँ निलय (लेफ्ट Ventricle ): यह हृदय का सबसे मजबूत और मांसल कक्ष है. जब यह संकुचित होता है तो दाहिने निलय की तुलना में कई गुना ज्यादा दबाव पैदा कर सकता है. दाहिना निलय सिर्फ फेफड़ों में ही रक्त को पहुंचता है जबकि बायाँ निलय को पूरे शरीर में शुद्ध oxygen पूरित रक्त की आपूर्ति करनी होती है.
शेष अगले पोस्ट में..