पारा थाइरॉयड ग्रन्थि
एक लम्बे अवकाश के पश्चात पुनः अपने शरीर से सम्बंधित - अन्तःस्रावी ग्रंथियों की बात को आगे बढ़ाना चाहता हूँ.
अब तक हमने पीयूष और थाइरॉयड की बातें की है. आम तौर से लोग इनके बारे में परिचित भी होते हैं. मगर आज मैं बात करने जा रहा हूँ पारा थाइरॉयड की जिससे आपमें से कई परिचित न हों.
पारा थाइरॉयड हॉर्मोन की समस्या उतनी आम नहीं है. फिर ही यह अपने शरीर का महत्वपूर्ण इसलिए हमें इसके बारे में चाहिए.
आम तौर से अलग अलग ४ छोटे छोटे पारा थाइरॉयड ग्रंिथयां हमारे शरीर में पाई जाती हैं. ये थाइरोइड ग्रंथि के ही पिछले भाग़ में चिपकी होती है. इसका आकर आधे सेंटीमीटर डिस्क के जैसा होता है.
कई बार जब ऑपरेशन कर थाइरॉयड ग्रंथि को शल्य चिकित्सक निकाल रहे होते हैं तो यह खास सावधानी रखनी होती है कि पारा थाइरॉयड को बचा लिया जाय. आप जान कर हैरान होंगे की हम थाइरोइड के बगैर तो जीवित रह सकते हैं मगर पारा थाइरोइड के बगैर नही.
इस ग्रंथि से निकलने वाले हॉर्मोन को पाराथोरमोन कहते हैं. इसका सबसे महत्व पूर्ण कार्य है कि यह हमारे रक्त में कैल्शियम की सही मात्रा को बनाये रखता है. अगर पारा थोरमोन न हो तो हमरे रक्त में कैल्शियम की भरी कमी हो जायगी और अंततः विभिन्न अंगों के न काम कर सकने की वजह से मृत्यु.
इसीतरह अगर इसकी अधिकता हो जाय तो रक्त में कैल्शियम की मात्र बहुत बढ़ जाती है. इस ग्रंथि में होने वाले ट्यूमर की वजह से ऐसा हो सकता है. यह औरतों में ज्यादा होने की सम्भावना होती है. इस स्थिति को hyperparathyroidism ( हाइपर पारा थाइरॉइडिज्म ) कहते हैं. इसके मुख्या लक्षण हैं- थकन लग्न, हड्डियों में दर्द और आसानी से फ्रैक्चर हो जाना तथा रक्त जांच में कैल्शियम की अधिकता। कई बार अगर किसी को कोई दूसरा भी कैंसर है तो ट्यूमर एक ऐसे रसायन (PTHrP- parathyroid related peptide) का स्राव करता है जो इस हॉर्मोन की तरह कार्य करता है और परिणामतः रक्त में कैल्शियम का स्तर बढ़ जाता है. तो कई बार अगर रक्त में कैल्शियम का स्तर तो यह छिपे कैंसर की निशानी हो सकती है.
हमारे शरीर में ऐसा प्रबंध है की अगर किसी वजह से रक्त में कैल्शियम की कमी हो तो अपने आप पाराथोरमोन का स्राव बढ़ जाता है. पाराथोरमोन कैल्शियम के स्तर को बढ़ने के लिए हमारी हड्डियों में जमा कैल्शियम को निकलने लगता है , मगर इससे हड्डिया खोखली और कमजोर हो जाती हैं. यह हालात अक्सर तब उत्पन्न होती है जब किसी को वृक्क ( किडनी) failure हो जाय.
वृक्क की बीमारी में कैल्शियम की कमी होने लगती है और पाराथोरमोन का स्राव बढ़ जाता है. इस स्तिति को लिए बाहर से अतिरिक्त कैल्शियम देने की जरूरत होती है. नहीं तो अस्थियां बहुत कमजोर हो जाती हैं.
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